राजस्थान के दुर्गों से सम्बंधित प्रसिद्द दोहे
चित्तौडग़ढ़


जिण अजोड़ राखी जुड्या मेवाड़ सूं मरोड़
किला मोड़ बिलमा तणु चित्त तोरण चित्तोड़
कुम्भलगढ़


कुम्भलगढ़ रा कांगरां रहीकुण कण राण
इक सिंहावत सुजडो एक सोनगिरो भाण
झाल कटायां झाली मिलै, न रंक कटायां शव
कुम्भलगढ़ रै कांगरै, माछर हो तो आव
रणथम्बोर


सिंह गमन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै इक बाद
तिरिया तेल, हमीर हठ, चढ़ै न दूजी बार
जैसलमेर


गढ़ दिल्ली , गढ़ आगरो, अधगढ बीकानेर
भलो चिणायो भाटियां सिरै तो जैसलमेर
भड़ किंवाड़ उतराधरा, भाटी झालण भार
वचन राखो ब्रिजराजरा, सेहमर बांधो सार
जालौर


आभ फटै धर उल्टै कटै बगत रा कोर
सीस पड़ै धड़ तड़फड़ै जद छूटै जालौर
विषम दुर्ग सुणीह घणा, ईसीऊ नहीं आसेर
जिसत जालहुर जाणीई, तीसउ नहीं ग्वालेर
सिवाणा


किलो अण्खलो यु कहे आव कल्ला राठौड़
मो सर उतरे मेहणो तो सिर बांधै माउद
गागरोण


भोज तणै भुजबळां असुर दहवट्टां कीया
अचलदास गागरूण कोट माथा सूं दीया
अजयमेरु दुर्ग (तारागढ़)


गौड़ पंवार सिसोदिया चहुवाणा चितचोर
तारागढ़ अजमेर रो गरवीजे गढ़ जोर
भरतपुर दुर्ग (लोहागढ़)


दुर्ग भरतपुर अङ्ग जिमि हिमगिरि की चट्टान
सूरजमल के तेज को अब लौं करत बखान
जोधपुर दुर्ग (मेहरानगढ़)


सब ही गढ़ां सिरोमणी अति ही ऊंचो जाण
अनड़ पहाड़ां ऊपरां जबरो गढ़ जोधाण
नागौर दुर्ग (अहिछत्रपुर दुर्ग)


उन् मुख तै गग्गो कहयो इण कर लइ कटार
वार कह पायो नहीं, जमघड़ हो गई पार
बीकानेर दुर्ग (जूनागढ़)


अभो ग्राह बीकाण गज मारू समद अथाह
गरूड़ छाँड गोविन्दे ज्यूं सहाय करो जयशाह
डाढाली डोकर थई, का तूं गई विदेस
खून बिना क्यों खोजसे, निज बिकारो देस
आबू दुर्ग (अचलगढ़)


पृथ्वी पंवारा तणी, आंणै पृथ्वी तणा पंवार
एको आबू गढ़ बेसणों, दूजी उज्जैनी धार